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हमारे बारे में

केन्द्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवाकर आयुक्तालय की स्थापना वर्ष 1997 में हुई थी । इस आयुक्तालय का अधिकार क्षेत्र पूरे हिमाचल राज्य, संघ शासित  प्रदेश चण्डीगढ़ तथा पंजाब राज्य के फतेहगढ़ साहिब जिला में है। इसके अंतर्गत शिमला,चण्डीगढ़ ,मण्डीगोबिंदगढ़ एवं बद्दी स्थित चार केन्द्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवाकर मण्डल है। इस आयुक्तालय का अधिकार क्षेत्र नये बनने वाले अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, चण्डीगढ़ का भी है।

आयुक्तालय को इसके अंतर्गत अधिसूचित क्षेत्र में केन्द्रीय उत्पाद शुल्क/कर उगाही का कार्य तथा इससे संबंधित प्रशासनिक कार्य सौंपा गया है। केन्द्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवाकर आयुक्तालय का प्राथमिक कार्य केन्द्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम,1944 तथा इसके अंतर्गत बनाये गये नियमों तथा केन्द्रीय उत्पाद शुल्क टैरिफ अधिनियम 1985 के विभिन्न प्रावधानो के कार्यान्वयन तथा संसद द्वारा पारित अन्य संबंधित अधिनियमों,जिसके अंतर्गत केन्द्रीय उत्पाद शुल्क या लगाये गये ऐसे अन्य शुल्क की  उगाही भी करना है। इसके साथ-साथ वित्त विधेयक,1994 के अंतर्गत सेवाकर की उगाही करना तथा उसकी अनुपालना करना है। चण्डीगढ़-। आयुक्तालय के कार्यों का संचालन करने के लिये इसे निम्नलिखित रूप से विभिन्न शाखाओं और परिक्षेत्र कार्यालयों में बांटा गया हैः-

  • मुख्यालय स्तर पर विभिन्न शाखायें
  • केन्द्रीय उत्पाद शुल्क मण्डल एवं सेवाकर मण्डल कार्यालय
  • केन्द्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवाकर परिक्षेत्र
आयुक्तालय के अधिकारियों व कर्मचारियों की शक्तियां व कर्तव्य :-

अधिकारियों के कर्तव्य और शक्तियां केन्द्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम,1944 तथा इसके अंतर्गत बनाये गये नियमों में परिभाषित की गई है। इन्हीं को  आगे केन्द्रीय उत्पाद शुल्क मैन्युअल में परिभाषित किया गया है जो कि एक प्रकाशित दस्तावेज है।

केन्द्रीय उत्पाद शुल्क उन सभी वस्तुओं पर (विशेष आर्थिक जोन में उत्पादित माल को छोड़कर) जो भारत में उत्पादित या निर्मित की जाती है,केन्द्रीय उत्पाद शुल्क टैरिफ अधिनियम,1985 में विनिर्दिष्ट दरों पर देय होता है । वर्तमान निर्धारण प्रणाली के अंतर्गत, एक विनिर्माता को आवश्यक है कि वह अपने विनिर्मित माल पर देय शुल्क का स्वतः निर्धारण कर उसे  प्राधिकृत बैंक  में जमा कराये  । निर्मित माल का विवरण, छूट दावा, अदा किये गये केन्द्रीय उत्पाद शुल्क के संबंध में ई. आर. 1/ 2 तथा 3 विवरणियों में भर कर विभाग को प्रस्तुत करना अपेक्षित है । प्रस्तुत की गई इन विवरणियों को संबंधित केन्द्रीय उत्पाद शुल्क अधिकारियों द्वारा छानबीन करने की आवश्यकता पडती है कि निर्माता द्वारा पूरी राशि की अदायगी कर दी गई है या नही । चण्डीगढ़-। आयुक्तालय के प्रमुख आयुक्त हैं जो अपने अधिकार क्षेत्र में केन्द्रीय उत्पाद शुल्क तथा सेवाकर संग्रहण  के लिये उत्तरदायी है, साथ ही  ग्रुप ‘बी’ स्तर के अधिकारियों तक की नियुक्ति तथा अनुशासनिक प्राधिकारी हैं । मुख्यालय में इनकी सहायता के लिये अपर आयुक्त/संयुक्त आयुक्त हैं जिन्हे विशिष्ट क्षेत्रों के कार्यो का उत्तरदायित्व सौंपा जाता है। उपायुक्त/सहायक आयुक्त शाखा के प्रभारी हैं जिन्हे और विशिष्ट कार्य सौंपे जाते हैं। उपायुक्त/सहायक आयुक्त के कार्य में अधीक्षक,निरीक्षक, कर सहायक, उच्च/अवर श्रेणी लिपिकों  आदि दवारा सहायता प्रदान की जाती है ।

चण्डीगढ़-। आयुक्तालय का अधिकार क्षेत्र चार केन्द्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवाकर मंडलों में विभाजित किया गया है । केन्द्रीय उत्पाद शुल्क मण्डल का क्षेत्र उधोगों की सघनता, उत्पादित वस्तुओं की जटिलता तथा राजस्व प्राप्तियों की मात्रा पर आधारित होता है । प्रत्येक मंडल का प्रमुख उपायुक्त/सहायक आयुक्त होता है जिसकी सहायता के लिये अधीक्षक एवं निरीक्षकों सहित एक प्रशासनिक अधिकारी तथा अन्य अनुसचिवीय स्टाफ होता है। प्रत्येक मण्डल एक अपर आयुक्त/संयुक्त आयुक्त  के पर्यवेक्षण नियंत्रण में होता है ।

मण्डल कार्यालय का अधिकार क्षेत्र फिर से रेंजों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक रेंज कार्यालय प्रमुख एक अधीक्षक होता है जिसे रेंज अधिकारी कहा जाता है। प्रत्येक रेंज में उनके अधीन एक से दो निरीक्षक होते है। प्रत्येक निरीक्षक के प्रभार में कुछ निश्चित इकाइयां होती है जिनकी संख्या परिक्षेत्र से परिक्षेत्र पर निर्भर करती है। एक निरीक्षक का अधिकार क्षेत्र ‘सैक्टर’ कहलाता है । अपर/संयुक्त आयुक्त(कार्मिक एवं सतर्कता) कार्मिक एवं सतर्कता मामलों  के प्रभारी होते  हैं। अपर/संयुक्त आयुक्त (करअपवंचन)आयुक्तालय में कर अपवंचन गतिविधियों संबंधी कार्यो के लिये उत्तरदायी है।  अपर/संयुक्त आयुक्त(समीक्षा) का उत्तरदायित्व विभिन्न मूल तथा अपीलीय प्राधिकारियों द्वारा पारित न्यायनिर्णयन आदेशों की समीक्षा करना तथा जो आदेश विधि सम्मत व उचित नही है उनके विरूद्ध आगे अपील दायर करना है। अपर/संयुक्त आयुक्त(तक.) कानून की व्याख्या एवं उसके अनुपालन कराने के लिये उत्तरदायी है । वह उधोग एवं व्यापारी वर्ग के लियेडधो ”फेसिलिटेटर” के रूप में भी कार्य करते  है। व्यापारी वर्ग द्वारा उत्पाद शुल्क/ कर की सही तरीके से अदायगी की प्रथम जांच केन्द्रीय उत्पाद शुल्क/ सेवाकर रेंज के अधीक्षक व उनके स्टाफ द्वारा की जाती है। समय पर राजस्व उगाही तथा प्रक्रिया के उचित अनुपालन की जांच के लिये अपर/संयुक्त आयुक्त के अधीन लेखा परीक्षा शाखा दूसरे जांच बिन्दु के रूप में कार्य करती है।

उधोग तथा व्यापारी वर्ग एवं विभाग के बीच रेंज कार्यालय प्रथम सम्पर्क  कार्यालय होता  है । केन्द्रीय उत्पाद शुल्क के करदाताओं को पंजीकरण, घोषणा दायर करना आदि संबंधित क्षेत्राधिकार के सहायक/उपायुक्त के समक्ष आवेदन करना अपेक्षित है जो कि केन्द्रीय उत्पाद शुल्क पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रदान करने के लिये उत्तरदायी है। सेवाकर पंजीकरण के मामलो मे करदाताओं को अधीक्षक के समक्ष आवेदन करना अपेक्षित है। वर्तमान निर्धारण योजना के अनुसार  एक विनिर्माता, सेवाकर प्रदाता द्वारा स्वतः उत्पादित माल/प्रदान की गई सेवाओं पर देय उत्पाद शुल्क/कर का स्वयं निर्धारण करके इसे प्राधिकृत बैंको में जमा कराना अपेक्षित है। विनिर्मित माल का ब्यौरा,छूट दावा,अदा किये गये उत्पाद शुल्क/सेवाकर का विवरण ई आर I/ई आर-3/एस टी-3 में आवधिक विवरणियां विभाग को  प्रस्तुत करना अपेक्षित है। लघु उधोग क्षेत्र की इकाइयों द्वारा तिमाही विवरणियां भरी जाती है जबकि अन्य इकाईयों द्वारा मासिक विवरणियां प्रस्तुत की जानी अपेक्षित है। सेवाकर के मामलों में करदाताओं द्वारा अर्धवार्षिक विवरणी दाखिल करना अपेक्षित है। यह देखने के लिये कि उत्पाद शुल्क की ठीक-ठीक धनराशि की अदायगी कर दी गई है रेंज स्तर पर संबंधित केन्द्रीय उत्पाद शुल्क/सेवाकर अधिकारियों द्वारा इन विवरणियों की जांच व छानबीन की जानी अपेक्षित है। अब ए सी ई एस प्रणाली के लागू होने से उपरोक्त सारी प्रक्रिया कम्प्यूटरीकृत कर दी गई है तथा ऑन-लाईन कर दी गई है। जल्दी ही ए सी ई एस प्रणाली के अंतर्गत अन्य सभी प्रक्रियायें भी ऑन-लाईन कर दी जायेंगी।

निर्धारण कार्य के अतिरिक्त करदाताओं द्वारा दायर कुछ सांविधिक घोषणाओं की सत्यता की जांच भी रेंज अधिकारी द्वारा की जाती है। रेंज अधिकारी निर्यात किये जाने वाले माल की जांच करते हैं तथा निर्यात किये जाने वाले माल की गुणवता एवं मात्रा के संबंध में प्रमाण पत्र जारी करते हैं। निर्धारण संबंधी उत्पन्न किसी भी विवाद के संबंध में संलिप्त आर्थिक सीमा के आधार पर मंडल के सहायक/उपायुक्त या उनसे वरिष्ठ अधिकारी द्वारा करदाता को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है। पांच लाख रूपये तक के उत्पाद शुल्क के संबंध में सहायक आयुक्त/उपायुक्त द्वारा कारण बताओ नोटिस  जारी किया जाता है। पांच लाख से लेकर 50 लाख तक के उत्पाद शुल्क के मामले में संयुक्त/अपर आयुक्त द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है। आयुक्त बिना किसी आर्थिक सीमा के कारण बताओं नोटिस जारी कर सकते हैं। उपरोक्त नोटिस का निर्णय/न्यायनिर्णयन उसी स्तर के अधिकारियों द्वारा किया जाता है।

विभाग द्वारा जारी कारण बताओं नोटिस से एक करदाता के विरूद्ध विभागीय कार्रवाई की शुरूआत होती है। कारण बताओं नोटिस का जवाब देने के लिये प्रायः तीस दिन का समय दिया जाता है। करदाता द्वारा दिये गये उत्तर तथा व्यक्तिगत सुनवाई के आधार पर केन्द्रीय उत्पाद शुल्क अधिकारी आदेश पारित करते हैं। यह आदेश मूल आदेश अथवा एक न्यायनिर्णयन आदेश कहलाता है। इस आदेश के विरूद  आयुक्त(अपील) के पास अपील दायर की जा सकती है। अपील का अगला चैनल सीमा शुल्क, केन्द्रीय उत्पाद शुल्क,सेवाकर ट्रिब्यूनल(सेसटैट) है। ट्रिब्यूनल के आदेश के विरूध उच्च न्यायालय,सर्वोच्च न्यायालय में मामले के आधार पर अपील की जा सकती है।

रेंजों के समूह का कार्य मण्डलीय अधिकारी द्वारा देखा जाता है। वह अधिकारी उपायुक्त या सहायक आयुक्त के स्तर के हो सकते है। मण्डल के प्रभारी के रूप में उप/सहायक आयुक्त को करदाता द्वारा प्रस्तुत घोषणाओं की जांच व उनकी स्वीकृति सहित अधिनियम के अंतर्गत कुछ सांविधिक कार्य करने  होते हैं। वह नियमों के अंतर्गत कुछ अनुमतियां प्रदान करते हैं। वह केन्द्रीय उत्पाद शुल्क नियम/वित्त विधेयक के उचित अनुपालन एवं प्रक्रिया के अनुपालन के लिये अपने क्षेत्राधिकार के लिये उत्तरदायी है। उनके पास अर्धन्यायिक कार्य भी है तथा जिन मामलों मे 5 लाख रूपये तक की राशि का उत्पाद शुल्क संलिप्त है उन मामलो की न्यायनिर्णयन शक्तियां है। तथापि मूल्यांकन एवं वर्गीकरण से संबंधित कितनी भी संलिप्त धनराशि के सभी मामलों का निर्णय उनके द्वारा पारित किया जाता है । केन्द्रीय उत्पाद शुल्क/देयता का अनंतिम कर निर्धारण मण्डल के सहायक/उपायुक्त द्वारा स्वीकृत किया जा सकता है। ऐसे कागजात और रिकार्ड जिन्हे मामलों की स्थिति के अनुसार आवश्यक या उचित समझा जाये की मांग कर उप/सहायक आयुक्त को कर निर्धारण को अंतिम रूप देना अपेक्षित है। वह आसूचना का संग्रह करने या कर अपवंचन अभियान का आयोजन अपने अधिकार क्षेत्र में करने के लिये उत्तरदायी है। मण्डल स्तर पर वह लेखा परीक्षा से सम्बन्धित कार्य के अनुपालन कार्य भी देखते है। करदाता रिफंड/रिबेट के लिये अपने क्षेत्र के उप/सहायक आयुक्त को आवेदन भी कर सकते है। रिफंड/रिबेट दावों के ऐसे आवेदन केन्द्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम,1944 की धारा 11 बी के प्रावधानों के अंतर्गत किये जा सकते हैं। रिफंड/रिबेट दावों को दायर करने तथा स्वीकृत करने के लिये संबंधित अधिकार क्षेत्र के उप/सहायक आयुक्त प्राधिकृत  प्राधिकारी है। वह आयुक्त,अपर आयुक्त,संयुक्त आयुक्त को अनुशासन के प्रवर्तन तथा कर्तव्यच्चुत अधिकारियों के विरूद्ध कार्रवाई करने में सहायता करते है।

सभी मण्डल कार्यालयों का पर्यवेक्षण अपर आयुक्त,संयुक्त आयुक्त,उप/सहायक आयुक्तों तथा अन्य अधीनस्थ अधिकारियों के सहयोग से आयुक्त द्वारा किया जा सकता है।

अपने अधिकार क्षेत्र के कानून और प्रक्रिया के विधिवत अनुपालन का उत्तरदायित्व आयुक्त का है। वह न्यून उदग्रहण (शार्ट लेवी)/अनुदग्रहण(नॉन लेवी) के मामलों का बिना किसी धनराशि की सीमा के न्यायनिर्णयन करते हैं। वह अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा पारित न्यायनिर्णयन आदेशों की समीक्षा भी करते हैं। उपरोक्त कार्यों के साथ-साथ वह लेखा परीक्षा तथा कर अपवंचन शाखाओं से संबंधित कार्यों के पर्यवेक्षण का कार्य भी करते हैं। अपर आयुक्त/संयुक्त आयुक्त आयुक्तालय के पर्यवेक्षण संबंधी कार्य में आयुक्त के सहायक है।

मुख्यालय की अपवंचन रोधी शाखा उत्पाद शुल्क/कर चोरी  संबंधी आसूचना एकत्रित करने तथा ऐसी किसी भी गतिविधि को रोकने  के लिये प्रभावी कदम उठाने का कार्य करने के लिये उत्तरदायी है। वर्ष में एक करोड़ रूपये से अधिक का राजस्व अदा करने वाले कारखानों का लेखा परीक्षा शाखा द्वारा वर्ष में एक बार तथा अन्यों का वर्ष में दो बार लेखा परीक्षण किया जाता है तथा यह सुनिश्चित करने के लिये कि अदा करने योग्य केन्द्रीय उत्पाद शुल्क का सही तरीके से एवं निर्धारित तिथि तक भुगतान  किया गया है, उनके रिकार्ड की पूरी छानबीन की जाती है।

अधीक्षकों, जो कि ग्रुप ’बी’ के कार्यकारी राजपत्रित अधिकारी होते हैं,  के अतिरिक्त प्रत्येक आयुक्तालय में निरीक्षकों के ग्रुप ‘बी’ कार्यकारी अधिकारी, ग्रुप ‘सी’ अनुसचिवीय अधिकारी तथा ग्रुप डी का स्टाफ तैनात होता  है।

निर्णय लेने की प्रक्रिया में तथा पर्यवेक्षण एवं उत्तरदायित्वों संबंधी पालन की जा रही कार्यविधि,  केन्द्रीय उत्पाद शुल्क मैनुअल,एडजुडिकेशन मैनुअल, ऑडिट मैनुअल में दिये गये  हैं ।

पंजीकरण-  केन्द्रीय उत्पाद शुल्क/सेवाकर करदाताओं को निर्धारित प्रपत्र में क्षेत्र के सहायक आयुक्त (केन्द्रीय उत्पाद शुल्क पंजीकरण के लिये), अधीक्षक(सेवाकर पंजीकरण मामले में) को पंजीकरण/घोषणायें व आवेदन के लिये आवेदन करना अपेक्षित है 1 उक्त अधिकारी केन्द्रीय उत्पाद शुल्क पंजीकरण प्रमाण पत्र जो प्राय पंद्रह अंको का तथा पेन आधारित होता है, प्रदान करने के लिये उत्तरदायी है। अब ए सी ई एस प्रणाली के अंतर्गत पंजीकरण ऑन-लाईन किये जा रहे हैं ।
 
विवरणियों की छानबीन- स्वतः निर्धारण के बाद करदाताओं द्वारा केन्द्रीय उत्पाद शुल्क/सेवाकर की दायर की गई  रिटर्न की निरीक्षक द्वारा जांच की जाती है तथा इसे अधीक्षक को प्रस्तुत किया जाता  है । निर्धारण से उत्पन्न किसी विवाद के लिये संलिप्त आर्थिक सीमा के आधार पर मंडल के सहायक/उपायुक्त या उनसे वरिष्ठ अधिकारी द्वारा करदाता को नोटिस   भेजा जाता है । अब ए सी ई एस प्रणाली के लागू होने से रिटर्न फाइल करना तथा जांच करना ऑन-लाईन किया जाता है।
 
अस्थायी मूल्य निर्धारण- मूल्य विवाद सहित विभिन्न अन्य कारणों से अस्थायी मूल्य निर्धारण तथा उस पर केन्द्रीय उत्पाद शुल्क देयता की करदाता दुबारा छानबीन कर सकते हैं जिसकी स्वीकृति मंडल के सहायक/उपायुक्त प्रदान कर सकते हैं। सहायक आयुक्त दवारा मामलों  की स्थिति के अनुसार ऐसे कागजात व रिकार्ड को जिन्हे वह आवश्यक समझे,  मांगने के बाद ऐसे मूल्य निर्धारण को अंतिम रूप देना अपेक्षित है।
 
न्यायनिर्णयन- विभाग द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद किसी करदाता के विरूद्ध विभागीय कार्रवाई की शुरूआत होती है। कारण बताओ नोटिस का उत्तर देने के लिये प्राय तीस दिनों का समय दिया जाता है। उत्तर के आधार पर तथा करदाता की मांग करने पर व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान की गई प्रस्तुति के आधार पर आयुक्त से नीचे के स्तर के केन्द्रीय उत्पाद शुल्क अधिकारी, आदेश पारित करते हैं। इस आदेश को मूल आदेश या न्यायानिर्णयन आदेश कहा जाता है। इस आदेश के विरूद्ध आयुक्त(अपील) के समक्ष अपील दायर की जा सकती है। केन्द्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम,1944 की धारा 35-बी के अंतर्गत इससे अगली अपील सीमा शुल्क, केन्द्रीय उत्पाद शुल्क एवं सेवाकर ट्रिब्यूनल के पास की जा सकती है। ट्रिब्यूनल के आदेश के विरूद्ध जैसा मामला  हो उच्च न्यायालय तथा सर्वोच्च न्यायालय, में अपील की जा सकती है।
 
रिफंड/रिबेट- करदाता रिफंड/रिबेट के लिये अपने क्षेत्र के सहायक/उपायुक्त को आवेदन कर सकते हैं। ऐसे रिफंड/रिबेट के आवेदन केन्द्रीय शुल्क अधिनियम,1944 की धारा 35-बी के प्रावधानों के अनुसार किये जा सकते हैं। क्षेत्र के मंडल कार्यालय के सहायक/उपायुक्त रिफंड/रिबेट के दावे प्रस्तुत करने तथा स्वीकृति करने के लिये प्राधिकृत है।
 
लेखा परीक्षा- केन्द्रीय उत्पाद शुल्क/सेवाकर करदाताओं का विभाग द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार जिसे ई ए-2000 कहा जाता है, आडिट किया जाता है। आयुक्त के पूर्ण   पर्यवेक्षण में अपर/संयुक्त आयुक्त के अधीन केन्द्रीय उत्पाद शुल्क/सेवाकर आडिट सैल कार्य करता है। लेखा परीक्षा की पूर्व  सूचना देने के बाद अधीक्षक की अध्यक्षता मे अधिकारियों की टीम द्वारा इकाइयों का आडिट किया जाता है।
 
निवारक- इस शाखा का मुख्य कार्य आसूचना या सूचना एकत्र करके करदाताओं द्वारा केन्द्रीय उत्पाद शुल्क की चोरी सहित अन्य कर अपवंचन की गतिविधियों को रोकना है। इस शाखा के मुखिया सहायक /उपायुक्त होते हैं जिनकी सहायता के लिये पर्याप्त संख्या में अधीक्षक व निरीक्षक होते है तथा आयुक्त के प्रति जवाबदेह है।